06 जुलाई 2010

धौनी की शादी और टीवी मीडिया

रूद्न प्रताप सिंह को छोड़कर,आपको,हमको और लगभग हरेक भारतीय को धौनी की शादी की खबर एकाएक पता चली,शादी से एक दिन पहले मंगनी और ब्याह।भारतीय मीडिया को शादी की खबर को जल्द और सबसे सही पहुंचाने की चुनौती थी,लेकिन धौनी की शादी पर भारतीय मीडिया का कवरेज कितना सही था ये बताना काफी मुश्किल भरा काम है वो भी तब जबकि भारतीय समाज पर बाजारवाद हावी है ,आज के इस बाजारवाद के युग में इसका आकलन करना काफी मुश्किल हो गया है,अपने पेशे(पत्रकारिता) में तो खासकर और भी मुश्किल हो गया है,आजतक और स्टार न्यूज,आईबीएन 7,इंडिया टीवी जैसे चैनलों की मौजदूगी में चैनलों की अहमियत आम लोगों के बीच काफी कम हुई है।आमतौर पर समाचार की आम परिभाषा है-कि कोई सूचना जो सापेक्ष जनहित के तराजू पर खरी उतरे और जो संदर्भिता एवं तारतम्यता की चाहरदीवारी के भीतर रहते हुए जनता तक पहुंचे। लेकिन यहां यह भी जान लेना जरूरी है कि जनहित अनिवार्य रूप से वह नहीं है जिसमें जनता की रुचि हो। जनता की रुचि कई निम्न वृत्तियों में होती है, लेकिन न्यूज मीडिया पोर्नोग्राफी को खबर नहीं बना सकता।कई बार मनोरंजन की आवश्यकता दर्शकों को होती है,लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हम दिन भर धौनी की शादी की खबरों को दिखाते रहें,वो भी तब जब कि केवल अफवाहों पर काम चलाना है,(जैसै-कोई चैनल कह रहा है धौनी ने चॉकलेटी शुट पहना है,तो कोई क्रीम बता रहा है)चैनलो की इस तरह की हरकत को क्या कहा  जाए ,ये मेरी समझ से बाहर है,आपने एक तरह से इसे बाजार की मांग बताया है,तो क्या सर आप ये बता सकते हैं कि कितने दिनों बाद हमारे इन चैनलों से हमारी आपकी समस्याओं पर केंद्रित समाचारों का प्रसारण बंद हो जाएगा।धौनी की शादी की खबर को बिना कंटेंट के ग्राफिक्स और संगीत के माध्यम से दिखाना किस तरह से बाजारी की माग को पूरा करता है,लेकिन इतना तो जरूर है कि इस तरह की रिपोर्टिंग और प्रसारण से हमारी प्रतिबद्धता पर शक होता है और हमारी जेहनियत पर प्रश्नचिह्न लगता है।

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